प्रणाम मैं डॉ कन्हैया गैरोला आज आप लोगों को जानकारी दूंगा की किस प्रकार आप हरयाली अमवास्या के दिन आप वृक्ष ज्योतिष के माध्यम से इन पेड़ पौधों से लाभ उठा सकते है और शुभ फल प्राप्त कर सकते है |

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हिन्दू धर्म में हर चीज का अपना एक महत्व होता है हर वार का अपना महत्व है नक्षत्र का, योग का, कारन का , पहर का, चौघडी का, होरा का, आदि वैसे ही हर एक तिथि का अपना अपना एक महत्व होता है और इसी में अमावस्या तिथि का बहुत ही महत्वपूर्ण महत्व है। क्योकि अमावस्या तिथि को पितरों से सम्बंधित मन जाता है और लगभग हर व्यक्ति अमावस्या को अपने पितरों को याद करते हैं और यथा शक्ति और समय सुविधानुसार श्रद्धा भाव से उनका श्राद्ध, तर्पण करते हैं, अपने पितरों की शांति के लिए हवन आदि कराते हैं, गौ दान या गौ के लिए चारे का दान किया जाता है, ब्राह्मण को भोजन कराते हैं और साथ ही दान-दक्षिणा भी देते हैं। शास्त्रों के अनुसार अमावस्या तिथि के स्वामी पितृदेव हैं। पितरों की तृप्ति व शांति के लिए अमावस्या तिथि का अत्यधिक महत्व है। श्रावण मास की अमावस्या का अपना अलग ही महत्व है। इसे हरियाली अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। उत्तराखंड के इलाकों में सावन के महीने को हरेला के नाम से भी जाना जाता है हरियाली अमावस्या का त्योहार सावन महीने की अमावस्या को मनाया जाता है। जैसा आप लोग जानते है की सावन के महीने को हरियाली का प्रतीक मन जाता है क्योकि सावन और भाद्रपद के महिनों में वर्षा ऋतू आती है और उससे हर जगह हरियाली छा जाती है इस लिए इस महीने को हरियाली, हरेला या सावन की अमावस्या को हरयाली अमावस्या के नाम से जाना जाता है

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कहा जाता है की हरियाली को देख कर मनुष्य, पशु, पक्षी सभी का मन झूम उठता है मन प्रसन्न हो जाता है इसीलिए ये त्यौहार सावन के महीने में प्रकृति पर आई हरयाली की बहार की खुशी में मनाया जाता है। हरियाली अमावस पर पीपल के वृक्ष की पूजा एवं फेरे किये जाते है तथा मालपूए का भोग बनाकर चढाये जाने की परम्परा है। हरियाली अमावस्या पर वृक्षारोपण का बहुत बड़ा महत्व है। मत्स्य पुराण में कहा गया है कि एक पे़ड दस पुत्रों के समान होता है। पे़ड लगाने के अप्रत्यक्ष लाभ व सुख बहुत होते है और पुण्य उससे भी अधिक। भागवत पुराण के 10 स्कन्द के 22वें अध्याय में लिखा है की  वृक्ष सदा उपकार की खातिर जीते है। ये तेज़ हवा, बारिश, धुप, पाला आदि प्राकृतिक परिस्थितियों से बचाते है और हमें फूल, तना. जड़, छाल, पत्तें आदि देते है जो किसी न किसी रूप में हमारे लिए लाभदायक होती है पुराण आदि अन्य ग्रंथों में इन वृक्षों के बहुत सारे उल्लेख मिलते है

स्कन्द पुराण में लिखा है

।।मूलतः ब्रह्म रूपाय मध्यतो विष्णु रुपिणः। अग्रतः शिव रुपाय अश्वत्त्थाय नमो नमः।।
अर्थात इसके मूल में ब्रह्म, मध्य में विष्णु तथा अग्रभाग में शिव का वास होता है। इसी कारण ‘अश्वत्त्थ’नामधारी वृक्ष को नमन किया जाता है।

मत्स्य पुराण में कहता है की

दसकूपसमो वापी, दशवापीसमो हृद:।

दशहृदसमो पुत्र:,  दशपुत्रसमो द्रुम:।।

अर्थात दस कुओं के बराबर एक बावड़ी, दस बावड़ियों के बराबर एक तालाब, दस तालाबों के बराबर एक पुत्र तथा दस पुत्रों के बराबर एक वृक्ष है-

गीता में श्रीकृष्ण स्वयं कहते हैं – अश्वत्थः सर्ववृक्षाणां (१०/२६) वृक्षों में अश्वत्थ (पीपल) हूँ

पद्मा पुराण के अनुसार 1 पीपल के वृक्ष को लगाने का फल 100 पुत्रों के सामान होता है पुराण व अन्य अन्य ग्रंथों के अनुसार ज्ञात होता है की ये वृक्ष कितने प्रभावशाली और लाभकारी है इसी लिए हरयाली अमावस्या को हम वृक्ष , पौधे आदि लगा कर प्रकृति और वृक्षों को धन्यवाद देते है और अपना प्रेम प्रकट करते है

भविष्य पुराण में लिखा है की नव ग्रहों से संबन्धिन पौधों की पूजा करने से नव ग्रहों की शांति होती है और उनका शुभ फल प्राप्त होता है ता नक्षत्र के वृक्षों की पूजा किस प्रकार आपको लाभकारी हो सकती है

शास्त्रों में पुराणों में हर एक वृक्ष की विशेता बताई गयी है और किस वृक्ष देव में किस देवता का वास है बताया गया है अगर आप इस हरयाली अमावस्या में इन विशेष वृक्षों को लगाते है तो आपको बहुत लाभ होगा और अप्रत्यक्ष (जो दिखाई न दे ) पुण्य व फल की प्राप्ति होती है बोला जाता है की आंवले के पे़ड में लक्ष्मीनारायण के विराजमान होने की परिकल्पना की गई है। इसके पीछे वृक्षों को संरक्षित रखने की भावना निहित है। पर्यावरण को शुद्ध बनाए रखने के लिए ही हरियाली अमावस्या के दिन वृक्षारोपण करने की प्रथा बनी।

इस विशेष अवसर पर आप अपनी राशि के पौधों को लगा सकते है, आप अपने नक्षत्र के पौधों को लगा सकते है आप किसी भी बाग़ बगीचे में नव्ग्राग वाटिका, नक्षत्र वाटिका, त्रिवेणी, पंचवटी आदि प्रभावशाली व उर्जशाली वाटिकाओं का निर्माण कर सकते है

पीपल :- पीपल को हिन्दुओं धर्मं में एक बहुत ही प्रभाव शाली वृक्ष माना जाता है जैसा आपको पीछे भी बताया जा चूका है इसमें सभी देवी देवताओं का वास माना गया है अगर आप पीपल के मूल भाग में जल व  दूध चढाने से पितृ तृप्त होते है तथा शनि शान्ति के लिये भी शाम के समय सरसों के तेल का दिया लगाने का विधान है। अपने नक्षत्र वाले दिन पीपल की परिक्रमा करने से लाभ मिलता आदि अन्य प्रकार के लाभ दिए गया है

केला:- केले का वृक्ष विष्णु पूजन के लिये उत्तम माना गया है। गुरूवार को बृहस्पति पूजन में केला का पूजन अनिवार्य हैं। हल्दी या पीला चन्दन, चने की दाल, गु़ड से पूजा करने पर विद्यार्थियों को विद्या तथा कुँवारी कन्याओं को उत्तम वर की प्राप्ति होती है। इसलिए हरियाली अमावस्या के दिन केले का पौधा जरूर लगायें

बड:- बड की पूजा करने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है स्त्रियाँ इस की पूजा विशेष करती है वत सावत्री का व्रत पूजन इसी बात का प्रतिक है की जिस प्रकार सावित्री माता ने अपने सुहाग की रक्षा की थी उसी प्रकार हमारे सुहाग की भी रक्षा करना अपने पति की लम्बी उम्र की कामना हेतु यह व्रत करके ब़ड वृक्ष की पूजा एवं सेवा करती है।

तुलसी:- शास्त्रों के अनुसार तुलसी एक बहुत ही उपयोगी वनस्पति है इसको जहाँ भी रखते है उस स्थान में सकारात्मक उर्जा और वातावरण मिलता है और उस स्थान में बेक्टीरिया नहीं होते। स्कन्दपुराण एवं पद्मपुराण के उत्तर खण्ड में आता है कि जिस घर में तुलसी होती है वह घर तीर्थ के समान होता है। समस्त वनस्पतियों में सर्वाधिक धार्मिक, आरोग्यदायिनी एवं शोभायुक्त तुलसी भगवान नारायण को अतिप्रिय है।

वास्तु

वास्तु के अनुसार घर के समीप कौन कौन से वृक्ष लगाना लाभकारी होगें अशोक, पुन्नाग, शिरीष, बिल्वपत्र, आँक़डा तथा तुलसी का पौधा आरोग्य वर्धक होता है।

आपकी कामना के अनुसार किस वृक्ष को लगाना व उसकी पूजा लाभकारी होगी और आपकी मनो कामना पुरी करेगा

  1. लक्ष्मी प्राप्त के लिए- तुलसी, आँवला, केला, बिल्वपत्र का वृक्ष लगाये।
  2. आरोग्य प्राप्त के लिए- ब्राह्मी, पलाश, अर्जुन, आँवला, सूरजमुखी, तुलसी लगाये।
  3. सौभाग्य प्राप्त हेतु- अशोक, अर्जुन, नारियल, ब़ड (वट) का वृक्ष लगाये।
  4. संतान प्राप्त हेतु- पीपल, नीम, बिल्व, नागकेशर, गु़डहल, अश्वगन्धा को लगाये।
  5. मेधा वृद्धि प्राप्त हेतु- आँक़डा, शंखपुष्पी, पलाश, ब्राह्मी, तुलसी लगाये।
  6. सुख प्राप्त के लिए- नीम, कदम्ब, धनी छायादार वृक्ष लगाये।
  7. आनन्द प्राप्त के लिए- हरसिंगार (पारिजात) रातरानी, मोगरा, गुलाब लगाये।

अतः हरियाली अमावस्या के पावन अवसर पर आप लोग भी अपने परिवार के सभी सदस्यों के साथ मिल कर पौधें लगायें और प्रकृति को बचाने में सहायता करे जिससे आने वाली पीढ़ी आप सभी को याद करे धन्यवाद करे कोसे नहीं

सदा सुखी रहें

वृक्ष बचाएं  भविष्य बचाएं,  वृक्ष  लगायें  भाग्य बनायें  

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